तमन्ना दिल में फिर से जगाने की कोशिश ना कर…

तमन्ना दिल में फिर से जगाने की कोशिश ना कर
ऐ संगदिल तू फिर याद आने की कोशिश ना कर,

मैं मरा हूँ यूँ हर एक पल तेरी जुदाई में ज़ालिम
सितमगर तू मुझे फिर जिलाने की कोशिश ना कर,

क्यूँ न माने नवाब कि नहीं है उसकी क़िस्मत में तू
अब खामखां दिल को बहलाने की कोशिश ना कर,

तेरे वादे, इरादे, दिखाए ख़्वाब सब महज़ फ़रेब थे
अपने झूठ को सच तू बनाने की कोशिश ना कर..!!

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