हर एक ख़्वाब की ताबीर थोड़ी होती है…
हर एक ख़्वाब की ताबीर थोड़ी होती है मोहब्बतों की ये तक़दीर थोड़ी होती है, कभी कभी तो जुदा बेसबब भी …
हर एक ख़्वाब की ताबीर थोड़ी होती है मोहब्बतों की ये तक़दीर थोड़ी होती है, कभी कभी तो जुदा बेसबब भी …
ये जो रुतबा रुआब वाले है ज़ुल्म ये मुर्गा शराब वाले है, भूख की इनसे बात मत करना ये तो काजू …
आज तुमसे मिल के इनका मतलब समझ आया वरना इश्क़, मुहब्बत फ़क़त अल्फाज़ थे हमारे लिए, तुमसे जो नज़र मिल कर …
दुआ में हाथ जब मेरे उठे, परवान लगते है ये पत्थर भी न जाने क्यूँ मुझे इन्सान लगते है, कही कोई …
क़ुदरत का ये करिश्मा भी क्या बेमिसाल है चेहरे सफ़ेद और काले, लहू सबका लाल है, हिन्दू यहाँ है कोई, मुसलमान …
जब तलक लगती नहीं है बोलियाँ मेरे पिता तब तलक उठती नहीं हैं डोलियाँ मेरे पिता, आज भी पगड़ी मिलेगी बेकसों …
मैं ख़ाक में मिले हुए गुलाब देखता रहा और आने वाले मौसमों के ख़्वाब देखता रहा, किसी ने मुझ से कह …
जब अपनों से दूर पराए देस में रहना पड़ता है सान गुमान न हों जिस का वो दुख भी सहना पड़ता …
ग़म का मौसम बीत गया सो रोना क्या ? कल के ग़म को आज के दिन में बोना क्या ? ठीक …
अगर हवा भी खुशबुओं के ख़िलाफ़ हो जाएगी ऐसे में तो फूलो की ज़िन्दगी बर्बाद हो जाएगी, सूरज भी तरसेगा उस …