आज तुमसे मिल के इनका मतलब समझ आया…

आज तुमसे मिल के इनका मतलब समझ आया
वरना इश्क़, मुहब्बत फ़क़त अल्फाज़ थे हमारे लिए,

तुमसे जो नज़र मिल कर झुकी तो इबादत को जाना
वरना ये सज़दे, मस्ज़िदे महज़ एक रिवाज़ थे हमारे लिए,

आज परिंदे, पहाड़, नदियाँ ये सब जैसे गा रहे हो
कल तक तो यहाँ के इन्सान भी बे आवाज़ थे हमारे लिए,

तुमसे मिल कर चारासाज़ी का हुआ अहसास हमको
अब तक तो बस हकीम ए वक़्त ही चारसाज़ थे हमारे लिए,

मेरी बस्ती, मेरा समाज वो है जो तेरी आँखों में देखा
वरना ये दुनियाँ वाले तो खामखाह ही समाज थे हमारे लिए..!!

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