मैं रोता हूँ मेरे रोने को सब नकली समझते है…
मैं रोता हूँ मेरे रोने को सब नकली समझते है संसद के घड़ियालो को सब मछली समझते है, मची है लूट …
मैं रोता हूँ मेरे रोने को सब नकली समझते है संसद के घड़ियालो को सब मछली समझते है, मची है लूट …
ये जो रुतबा रुआब वाले है ज़ुल्म ये मुर्गा शराब वाले है, भूख की इनसे बात मत करना ये तो काजू …
क़ुदरत का ये करिश्मा भी क्या बेमिसाल है चेहरे सफ़ेद और काले, लहू सबका लाल है, हिन्दू यहाँ है कोई, मुसलमान …
मक़तल सजा हुआ है यहाँ कई साल से इस क़ानून के शहर में आना ख्याल से, ऐसा नहीं कि ज़ुल्म से …
वफ़ादारी पे दे दी जान मगर ग़द्दारी नहीं आई हमारे खून में अब तक ये बीमारी नहीं आई, ख़ुदा का शुक्र …
आवाम भूख से देखो निढाल है कि नहीं ? हर एक चेहरे से ज़ाहिर मलाल है कि नहीं ? तमाम चीजों …
बस एक ही हल इसका हमारे पास है लोगो जो हुक्मराँ बिक जाए वो बकवास है लोगो, किस भूख से गुज़रे …
चुनाव से पहले मशरूफ़ होते है सारे ही उम्मीदवार दिन रात मीटिंगे होती है इन सबके प्यादे और लोटो की, फिर …
वतन की सर ज़मी से इश्क़ ओ उल्फ़त ही नहीं खटकती जो रहे दिल में वो हसरत हम भी रखते है, …
कोई सिपाही नहीं बच सका निशानों से गली में तीर बरस रहे थे सभी मकानों से, ये बुर्द बारी अचानक से …