बेनाम सा ये दर्द ठहर क्यूँ नहीं जाता…
बेनाम सा ये दर्द ठहर क्यूँ नहीं जाता जो बीत गया है वो गुज़र क्यूँ नहीं जाता, सब कुछ तो है …
बेनाम सा ये दर्द ठहर क्यूँ नहीं जाता जो बीत गया है वो गुज़र क्यूँ नहीं जाता, सब कुछ तो है …
अपना ग़म ले के कहीं और न जाया जाए घर में बिखरी हुई चीज़ों को सजाया जाए, जिन चराग़ों को हवाओं …
दिल में न हो जुरअत तो मोहब्बत नहीं मिलतीख़ैरात में इतनी बड़ी दौलत नहीं मिलती , कुछ लोग यूँही शहर में …
धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखोज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो, सिर्फ़ आँखों से ही दुनिया नहीं …