अच्छा तुम्हारे शहर का दस्तूर हो गया…
अच्छा तुम्हारे शहर का दस्तूर हो गया जिस को गले लगा लिया वो दूर हो गया, काग़ज़ में दब के मर …
अच्छा तुम्हारे शहर का दस्तूर हो गया जिस को गले लगा लिया वो दूर हो गया, काग़ज़ में दब के मर …
अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जाएगा मगर तुम्हारी तरह कौन मुझ को चाहेगा, तुम्हें ज़रूर कोई चाहतों से देखेगा मगर …
सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा इतना मत चाहो उसे वो बेवफ़ा हो जाएगा, हम भी दरिया हैं हमें अपना …
सर से पा तक वो गुलाबों का शजर लगता है बा वज़ू हो के भी छूते हुए डर लगता है, मैं …
यूँही बे सबब न फिरा करो कोई शाम घर में रहा करो वो ग़ज़ल की सच्ची किताब है उसे चुपके चुपके …
लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने मेंतुम तरस नहीं खाते बस्तियाँ जलाने में और जाम टूटेंगे इस शराब-ख़ाने मेंमौसमों के …