तुम साथ नहीं हो तो कुछ अच्छा नहीं लगता…
तुम साथ नहीं हो तो कुछ अच्छा नहीं लगता इस शहर में क्या है जो अधूरा नहीं लगता, सीने से लिपटते …
तुम साथ नहीं हो तो कुछ अच्छा नहीं लगता इस शहर में क्या है जो अधूरा नहीं लगता, सीने से लिपटते …
तुम्हारी राह में मिट्टी के घर नहीं आते इसी लिए तो तुम्हें हम नज़र नहीं आते, मोहब्बतों के दिनों की यही …
तुझको सोचा तो पता हो गया रुस्वाई को मैंने महफ़ूज़ समझ रखा था तन्हाई को, जिस्म की चाह लकीरों से अदा …